25 साल की मेहनत से इस दम्पति ने उगाए 6000 पौधे

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  गुजरात के शंखेश्वर इलाके के धनोरा गांव में रहने वाले बुजुर्ग दंपति दिनेश चंद्र और देविंद्रा ठाकर ने अपनी रिटायरमेंट की ज़िंदगी को एक खास मकसद दिया है। उन्होंने अपने घर को सिर्फ एक आशियाना नहीं, बल्कि 'कुदरत का घर' बना दिया है, जहां हरियाली, शुद्ध हवा और जैव विविधता का अनूठा संगम देखने को मिलता है।
प्रकृति के प्रति अनोखा समर्पण
  रिटायरमेंट के बाद जहां लोग आरामदायक जीवन जीने की सोचते हैं, वहीं दिनेश चंद्र और देविंद्रा ठाकर ने पर्यावरण संरक्षण को अपनी प्राथमिकता बनाया। उन्होंने अपने घर के चारों ओर सैकड़ों पेड़-पौधे लगाए, जिससे यह इलाका अब एक मिनी जंगल जैसा दिखता है। आम, नीम, पीपल, बरगद और औषधीय पौधों से घिरा उनका घर पंछियों, तितलियों और अन्य जीव-जंतुओं का बसेरा बन चुका है।
सस्टेनेबल जीवनशैली
  इस दंपति ने अपने घर में सौर ऊर्जा का उपयोग किया है और वर्षा जल संचयन प्रणाली भी बनाई है। वे जैविक खेती करते हैं और केमिकल-फ्री सब्जियां उगाते हैं। साथ ही, वे प्लास्टिक का कम-से-कम उपयोग करते हैं और लोगों को भी जागरूक करते हैं।
प्रेरणा का स्रोत
  दिनेश चंद्र और देविंद्रा ठाकर का यह कदम दिखाता है कि अगर इंसान चाहे, तो प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर जी सकता है। उनका 'कुदरत का घर' आज पर्यावरण प्रेमियों के लिए एक प्रेरणा बन चुका है। उनका मानना है कि प्रकृति को बचाना सिर्फ सरकार या संगठनों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है।

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