पानी में पुलों की नींव तैयार करने के लिए कई तरीके हैं, जो पानी की गहराई, मिट्टी के प्रकार और पुल के आकार पर निर्भर करते हैं। यहाँ कुछ सामान्य तकनीकें दी गई हैं:
1. अस्थायी तटबंध (Cofferdams):
- उथले पानी में, अस्थायी तटबंध बनाए जाते हैं। ये मिट्टी या स्टील की चादर के ढेर से बनी पानीरोधी संरचनाएं होती हैं जो निर्माण स्थल के चारों ओर एक घेरा बनाती हैं।
- एक बार तटबंध बन जाने के बाद, अंदर से पानी पंप कर दिया जाता है, जिससे नींव बनाने के लिए एक सूखा कार्यक्षेत्र बन जाता है।
- जब नींव का निर्माण पूरा हो जाता है, तो तटबंध को आमतौर पर हटा दिया जाता है।
2. कैसेसन (Caissons):
- गहरे पानी में, कैसेसन का उपयोग किया जाता है। ये बड़े, खोखले बॉक्स या सिलेंडर होते हैं जिन्हें जमीन में धंसाया जाता है।
- खुले कैसेसन: ये ऊपर और नीचे दोनों तरफ से खुले होते हैं। जैसे-जैसे कैसेसन डूबता है, अंदर से मिट्टी और पानी निकाला जाता है।
- वायवीय कैसेसन: इनमें नीचे एक सीलबंद कक्ष होता है जिसमें संपीड़ित हवा भरी जाती है ताकि पानी को बाहर रखा जा सके। काम करने वाले इस कक्ष में प्रवेश करते हैं और नींव के लिए खुदाई करते हैं।
- बॉक्स कैसेसन: ये नीचे से बंद होते हैं और इन्हें तैयार नींव पर रखा जाता है।
- एक बार जब कैसेसन वांछित गहराई तक पहुंच जाता है, तो इसे कंक्रीट से भर दिया जाता है, जो पुल के लिए एक मजबूत नींव बनाता है।
3. चालित ढेर (Driven Piles):
- यह तकनीक उथले से मध्यम गहराई वाले पानी के लिए उपयुक्त है।
- लंबे, पतले स्तंभ (ढेर) जैसे स्टील या कंक्रीट को पानी के नीचे की मिट्टी में एक बड़े हथौड़े (पाइल ड्राइवर) का उपयोग करके गाड़ा जाता है।
- ये ढेर पुल के भार को नीचे की मजबूत मिट्टी या चट्टान तक पहुंचाते हैं।
- ढेरों को समूहों में स्थापित किया जा सकता है और फिर उन्हें एक साथ जोड़ने के लिए एक ढेर टोपी (pile cap) बनाई जाती है, जो पुल के ऊपरी ढांचे के लिए एक मंच प्रदान करती है।
4. ड्रिल किए गए शाफ्ट (Drilled Shafts) या मोनोट्यूब पाइल्स:
- इस विधि में पानी के नीचे की मिट्टी में बड़े व्यास के छेद ड्रिल करना शामिल है।
- ड्रिलिंग के दौरान छेद को गिरने से बचाने के लिए अक्सर एक आवरण का उपयोग किया जाता है।
- फिर छेद में स्टील का पिंजरा (reinforcement cage) डाला जाता है और कंक्रीट भरा जाता है।
- यह विधि भारी भार वहन करने वाली मजबूत नींव बनाती है।
5. ऑफ-साइट निर्माण और फ्लोट-इन (Off-site Construction and Float-in):
- कुछ मामलों में, पुल के नींव के हिस्सों को किनारे पर बनाया जाता है और फिर तैरते हुए क्रेन या बजरे का उपयोग करके उनके अंतिम स्थान पर ले जाया जाता है और नीचे कर दिया जाता है।
- यह विधि उन स्थितियों में उपयोगी हो सकती है जहां साइट पर निर्माण करना मुश्किल या खतरनाक हो।
पानी में नींव निर्माण की प्रक्रिया में शामिल कुछ सामान्य चरण:
- साइट का आकलन और तैयारी: पानी की गहराई, मिट्टी की स्थिति और पर्यावरण संबंधी कारकों का अध्ययन करना।
- भू-तकनीकी सर्वेक्षण: मिट्टी और चट्टान की परतों की जांच करना ताकि सबसे उपयुक्त नींव प्रकार का निर्धारण किया जा सके।
- हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण: पानी के नीचे की स्थलाकृति का विस्तृत मानचित्रण करना।
- तलकर्षण और उत्खनन: नींव स्थल से गाद और मलबे को हटाना।
- कंक्रीट डालना और जमाना: पानी के नीचे कंक्रीट डालने के लिए विशेष तकनीकों का उपयोग करना, जैसे कि ट्रेमी पाइप।
- वॉटरप्रूफिंग और जंग से सुरक्षा: नींव को पानी और जंग से बचाने के लिए उपाय करना।
पानी में पुल की नींव का निर्माण एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें सावधानीपूर्वक योजना, विशेष उपकरण और कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है। सुरक्षा हमेशा सर्वोच्च प्राथमिकता होती है।