"हिजड़ों का खानकाह" क्या है और ये कहाँ पर स्थित है?

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Hijado ka Khankah
 "हिजड़ों का खानकाह" दिल्ली के महरौली में क़ुतुबमीनार के पास एक एतिहासिक जगह मौजूद हैं, जिनका ताल्लुक किन्नर समुदाय से है, यह स्थान किन्नरों के लिए आस्था का केंद्र है।
  कुतुब मीनार से कुछ ही दूर पर स्थित हिजड़ों का खानकाह किन्नर समुदाय के लिए आध्यात्म का केंद्र है। हिजड़ों के खानकाह के बाहर एक छोटा सा लोहे का दरवाजा है। इसको कभी बंद नहीं किया जाता, खानकाह के अंदर एक पुरानी छोटी मस्जिद भी मौजूद है। इस जगह की देखभाल किन्नरों द्वारा ही की जाती है।
  परिसर के बाहरी हिस्से में 50 किन्नरों की कब्रें हैं। इसीलिए इसको किन्नरों की खानकाह के नाम से जाना जाता है। इन किन्नरों को लोदी वंश के शासनकाल के दौरान 15वीं सदी में दफनाया गया था। इनके अलावा थोड़े ऊंचे स्थान पर एक कब्र है जो मियां साहेब या हाजी साब की है। अब यहां पर किसी को दफनाया नहीं जाता है।

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